कह गया अभी मन में कोई, सन्देश तुम्हे हम देते हैं
इस घोर युद्ध की वेला में उदघोष तुम्हे हम देते हैं|
हो भीड़ उधर और छीड़ इधर तो चिंता कभी नहीं करना
तुम गरजो सिंहों के समान, रण बीच कभी ना तुम डरना|
तुम एक अकेले खड़े हुए हो घिरे शत्रु की सेना से
पर चकित करो वैरी दल को अपने भीषण बल पौरुष से|
अंत तो ये ही होगा कि शव गिरा पड़ा होगा किसी छोर
अग्नि भस्म कर बिखरा देगी इस तन को जाने किस ओर|
पर अग्नि की जाज्वल्यमान लपटें इतना कर जायेंगी
था कोई हृदय से मस्ताना, दुनिया को दिखला जायेंगी|
कुछ घने सयाने नीति की कुछ बात बना कर जायेंगे
कुछ होंगे प्रशंसा हाथ लिए, कुछ निंदा कर के जायेंगे|
पर दूर कहीं इक कोने में हँसता रोता मैं होऊंगा
फिर कहीं किसी माता की छाया में चलता बढ़ता हूँगा|
याद करूँगा जब अतीत, बलिदान बीच रण दिया हुआ
पाऊंगा मुख को तेजस्वी, अग्नि सम फिर से तपा हुआ|
पर फिर से याद वो आएगा जो युद्ध अभी अपराजित है
जिस सत्य पे अंग कटाए थे वो सत्य अभी अप्रकाशित है|
तो लेता हूँ संकल्प कि जब तक शत्रु सैन्य विध्वंस न हो
विश्राम नहीं लेना तब तक जब तक कि पूर्ण विजय न हो|
अग्नि संकल्प (http://agniveer.com/?p=1197) The resolve of Agni. Yet anoth… http://agniveer.com/?p=1197
अग्नि संकल्प: कह गया अभी मन में कोई, सन्देश तुम्हे हम देते हैं इस घोर युद्ध की वेला में उदघोष… http://goo.gl/fb/WbGV6
Wow….Absolutely Brilliant.
Beautiful ! Simply Fanatastic ! Above all , Very Inspirational !!
It is really very motivating and inspiring poetry and is relevant in today's context as well.
I could not understand the meaning of the word "छीड़" in third line (हो भीड़ उधर और छीड़ इधर तो चिंता कभी नहीं करना). Is it a printing error or has some meaning?
It means an isolated place in colloquial terms. Dhanyavad
@Amit
नमस्ते भाई
जैसा कि अग्निवीर जी ने लिखा है, छीड़ से अभिप्राय उस स्थान से है जहाँ बहुत कम लोग हों.
धन्यवाद
Pt. Poetry shows that Pt. Lekhram probably knows about his martyrdom.
Could you please tell me where I can get his whole collection of poems.
Ved
This is not written by Pt Lekhram. It is written by someone who is thoroughly inspired by him. Arya Musafir is his pen name that he adopted to continue the legacy of Pt Lekhram to best of his might.
Dhanyavad
आर्य्य मुसाफिर जी के तेजमय कविता का पठन करके अच्छा लगा। केवल एक त्रुटि है- भगवान श्रीराम जी का चित्र नीला लगाया गया है।
Wonderful poetry.
English please !! 🙁
This is just the poetry … Are u that Usha who has channel named xXx0Sanctuary0xXx ?
तो लेता हूँ संकल्प कि जब तक शत्रु सैन्य विध्वंस न हो
विश्राम नहीं लेना तब तक जब तक कि पूर्ण विजय न हो……
Salute _/\_
Naman _/\_
“.. याद करूँगा जब अतीत, बलिदान बीच रण दिया हुआ
पाऊंगा मुख को तेजस्वी, अग्नि सम फिर से तपा हुआ|
पर फिर से याद वो आएगा जो युद्ध अभी अपराजित है
जिस सत्य पे अंग कटाए थे वो सत्य अभी अप्रकाशित है|
तो लेता हूँ संकल्प कि जब तक शत्रु सैन्य विध्वंस न हो
विश्राम नहीं लेना तब तक जब तक कि पूर्ण विजय न हो| ..”