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अकबर से महान कौन?

हमारे पाठकों को अपने विद्यालय के दिनों में पढ़े इतिहास में अकबर का नाम और काम बखूबी याद होगा। रियासतों के रूप में टुकड़ों टुकड़ों में टूटे हुए भारत को एक बनाने की बात हो, या हिन्दू मुस्लिम झगडे मिटाने को दीन ए इलाही चलाने की बात, सब मजहब की दीवारें तोड़कर हिन्दू लड़कियों को अपने साथ शादी करने का सम्मान देने की बात हो, या हिन्दुओं के पवित्र स्थानों पर जाकर सजदा करने की, हिन्दुओं पर से जजिया कर हटाने की बात हो या फिर हिन्दुओं को अपने दरबार में जगह देने की, अकबर ही अकबर सब ओर दिखाई देता है। सच है कि हमारे इतिहासकार किसी को महान यूँ ही नहीं कह देते। इस महानता को पाने के लिए राम, कृष्ण, विक्रमादित्य, पृथ्वीराज, राणा प्रताप, शिवाजी और न जाने ऐसे कितने ही महापुरुषों के नाम तरसते रहे, पर इनके साथ “महान” शब्द न लग सका।

हमें याद है कि इतिहास की किताबों में अकबर पर पूरे अध्याय के अन्दर दो पंक्तियाँ महाराणा प्रताप पर भी होती थीं। मसलन वो कब पैदा हुए, कब मरे, कैसे विद्रोह किया, और कैसे उनके ही राजपूत उनके खिलाफ थे। इतिहासकार महाराणा प्रताप को कभी महान न कह सके। ठीक ही तो है! अकबर और राणा का मुकाबला क्या है? कहाँ अकबर पूरे भारत का सम्राट, अपने हरम में पांच हज़ार से भी ज्यादा औरतों की जिन्दगी रोशन करने वाला, उनसे दिल्लगी कर उन्हें शान बख्शने वाला, बीसियों राजपूत राजाओं को अपने दरबार में रखने वाला, और कहाँ राणा प्रताप, क्षुद्र क्षत्रिय, अपने राज्य के लिए लड़ने वाला, सत्ता का भूखा, सत्ता के लिए वन वन भटककर पत्तलों पर घास की रोटियाँ खाने वाला, जिसका कोई हरम ही नहीं इस तरह का छोटा और निष्ठुर हृदय, सब राजपूतों से केवल इसलिए लड़ने वाला कि उन्होंने अपनी लड़कियां, पत्नियाँ, बहनें अकबर को भेजीं, अकबर “महान” का संधि प्रस्ताव कई बार ठुकराने वाला घमंडी, और मुसलमान राजाओं से रोटी बेटी का सम्बन्ध भी न रखने वाला दकियानूसी, इत्यादि। कहाँ अकबर जैसा त्यागी जो अपने देश को उसके हाल पर छोड़ कर दूसरे देश भारत का भला करने पूरा जीवन यहीं पर रहा, और कहाँ राणा प्रताप जो अपनी जमीन भी ऐसे त्यागी के लिए खाली न कर पाया और इस आशा में कि एक दिन फिर से अपने राज्य पर कब्ज़ा कर लेगा, वनों में धूल फांकता, पत्नी और बच्चों को जंगलों के कष्ट देता सत्ता का भूखा!

अकबर “महान” की महानता बताने से पहले उसके महान पूर्वजों के बारे में थोड़ा जान लेना जरूरी है। भारत में पिछले तेरह सौ सालों से इस्लाम के मानने वालों ने लगातार आक्रमण किये। मुहम्मद बिन कासिम और उसके बाद आने वाले गाजियों ने एक के बाद एक हमला करके, यहाँ लूटमार, बलात्कार, नरसंहार और इन सबसे बढ़कर यहाँ रहने वाले काफिरों को अल्लाह और उसके रसूल की इच्छानुसार मुसलमान बनाने का पवित्र किया। आज के अफगानिस्तान तक पश्चिम में फैला उस समय का भारत धीरे धीरे इस्लाम के शिकंजे में आने लगा। आज के अफगानिस्तान में उस समय अहिंसक बौद्धों की निष्क्रियता ने बहुत नुकसान पहुंचाया क्योंकि इसी के चलते मुहम्मद के गाजियों के लश्कर भारत के अंदर घुस पाए। जहाँ जहाँ तक बौद्धों का प्रभाव था, वहाँ पूरी की पूरी आबादी या तो मुसलमान बना दी गयी या काट दी गयी। जहां हिंदुओं ने प्रतिरोध किया, वहाँ न तो गाजियों की अधिक चली और न अल्लाह की। यही कारण है कि सिंध के पूर्व भाग में आज भी हिंदू बहुसंख्यक हैं क्योंकि सिंध के पूर्व में राजपूत, जाट, आदि वीर जातियों ने इस्लाम को उस रूप में बढ़ने से रोक दिया जिस रूप में वह इराक, ईरान, मिस्र, अफगानिस्तान और सिंध के पश्चिम तक फैला था, अर्थात वहाँ की पुरानी संस्कृति को मिटा कर केवल इस्लाम में ही रंग दिया गया पर पूरे भारत में ऐसा नहीं हो सका।

पर बीच बीच में लुटेरे आते गए और देश को लूटते गए। तैमूरलंग ने कत्लेआम करने के नए आयाम स्थापित किये और अपनी इस पशुता को बड़ी ढिटाई से अपनी डायरी में भी लिखता गया। इसके बाद मुग़ल आये जो हमारे इतिहास में इस देश से प्यार करने वाले लिखे गए हैं! बताते चलें कि ये देशभक्त और प्रेमपुजारी मुग़ल, तैमूर और चंगेज खान के कुलों के आपस के विवाह संबंधों का ही परिणाम थे। इनमें बाबर हुआ जो अकबर “महान” का दादा था। यह वही बाबर है जिसने अपने काल में न जाने कितने मंदिर तोड़े, कितने ही हिंदुओं को मुसलमान बनाया,कितने ही हिंदुओं के सिर उतारे और उनसे मीनारें बनायीं। यह सब पवित्र कर्म करके वह उनको अपनी डायरी में लिखता भी रहता था ताकि आने वाली उसकी नस्ल इमान की पक्की हो और इसी नेक राह पर चले। क्योंकि मूर्तिपूजा दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है और अल्लाह को वह बर्दाश्त नहीं। इस देशभक्त प्रेमपुजारी बाबर ने प्रसिद्ध राम मंदिर भी तुडवाया और उस जगह पर अपने नाम की मस्जिद बनवाई। यह बात अलग है कि वह अपने समय का प्रसिद्ध नशाखोर, शराबी, हत्यारा, समलैंगिक (पुरुषों से भोग करने वाला), छोटे बच्चों के साथ भी बिस्मिल्लाह पढकर भोग करने वाला था। पर वह था पक्का मुसलमान! तभी तो हमारे देश के मुसलमान भाई अपने असली पूर्वजों को भुला कर इस सच्चे मुसलमान के नाम की मस्जिद बनवाने के लिए दिन रात एक किये हुए हैं। खैर यह वो “महान” अकबर का महान दादा था जो अपने पोते के कारनामों से इस्लामी इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों से लिखवा गया।

ऐसे महान दादा के पोते स्वनामधन्य अकबर “महान” के जीवन के कुछ दृश्य आपके सामने रखते हैं। इस काम में हम किसी हिन्दुवादी इतिहासकार के प्रमाण नहीं देंगे क्योंकि वे तो खामखाह अकबर “महान” से चिढ़ते हैं! हम देंगे प्रमाण अबुल फज़ल (अकबर का खास दरबारी) की आइन ए अकबरी और अकबरनामा से। और साथ ही अकबर के जीवन पर सबसे ज्यादा प्रामाणिक इतिहासकार विन्सेंट स्मिथ की अंग्रेजी की किताब “अकबर- द ग्रेट मुग़ल” से। हम दोनों किताबों के प्रमाणों को हिंदी में देंगे ताकि सबको पढ़ने में आसानी रहे। यहाँ याद रहे कि ये दोनों लेखक सदा इस बात के लिए निशाने पर रहे हैं कि इन्होने अकबर की प्रशंसा करते करते बहुत झूठ बातें लिखी हैं, इन्होने बहुत सी उसकी कमियां छुपाई हैं। पर हम यहाँ यह दिखाएँगे कि अकबर के कर्मों का प्रताप ही कुछ ऐसा था कि सच्चाई सौ परदे फाड़ कर उसी तरह सामने आ जाती है जैसे कि अँधेरे को चीर कर उजाला।

तो अब नजर डालते हैं अकबर महान से जुडी कुछ बातों पर-

अकबर महान का आगाज़

१. विन्सेंट स्मिथ ने किताब यहाँ से शुरू की है कि “अकबर भारत में एक विदेशी था। उसकी नसों में एक बूँद खून भी भारतीय नहीं था…। अकबर मुग़ल से ज्यादा एक तुर्क था” पर देखिये! हमारे इतिहासकारों और कहानीकारों ने अकबर को एक भारतीय के रूप में पेश किया है। जबकि हकीकत यह है कि अकबर के सभी पूर्वज बाबर, हुमायूं, से लेकर तैमूर तक सब भारत में लूट, बलात्कार, धर्म परिवर्तन, मंदिर विध्वंस, आदि कामों में लगे रहे। वे कभी एक भारतीय नहीं थे और इसी तरह अकबर भी नहीं था। और इस पर भी हमारी हिंदू जाति अकबर को हिन्दुस्तान की शान समझती रही!
अकबर महान की सुंदरता और अच्छी आदतें

२. बाबर शराब का शौक़ीन था, इतना कि अधिकतर समय धुत रहता था [बाबरनामा]। हुमायूं अफीम का शौक़ीन था और इस वजह से बहुत लाचार भी हो गया। अकबर ने ये दोनों आदतें अपने पिता और दादा से विरासत में लीं। अकबर के दो बच्चे नशाखोरी की आदत के चलते अल्लाह को प्यारे हुए। पर इतने पर भी इस बात पर तो किसी मुसलमान भाई को शक ही नहीं कि ये सब सच्चे मुसलमान थे।

३. कई इतिहासकार अकबर को सबसे सुन्दर आदमी घोषित करते हैं। विन्सेंट स्मिथ इस सुंदरता का वर्णन यूँ करते हैं-
“अकबर एक औसत दर्जे की लम्बाई का था। उसके बाएं पैर में लंगड़ापन था। उसका सिर अपने दायें कंधे की तरफ झुका रहता था। उसकी नाक छोटी थी जिसकी हड्डी बाहर को निकली हुई थी। उसके नाक के नथुने ऐसे दीखते थे जैसे वो गुस्से में हो। आधे मटर के दाने के बराबर एक मस्सा उसके होंठ और नथुनों को मिलाता था। वह गहरे रंग का था”

४. जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर उसे सदा शेख ही बुलाता था भले ही वह नशे की हालत में हो या चुस्ती की हालत में। इसका मतलब यह है कि अकबर काफी बार नशे की हालत में रहता था।

५. अकबर का दरबारी लिखता है कि अकबर ने इतनी ज्यादा पीनी शुरू कर दी थी कि वह मेहमानों से बात करता करता भी नींद में गिर पड़ता था। वह अक्सर ताड़ी पीता था। वह जब ज्यादा पी लेता था तो आपे से बाहर हो जाता था और पागलों के जैसे हरकत करने लगता।

अकबर महान की शिक्षा

६. जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर कुछ भी लिखना पढ़ना नहीं जानता था पर यह दिखाता था कि वह बड़ा भारी विद्वान है।
अकबर महान का मातृशक्ति (स्त्रियों) के लिए आदर

७. अबुल फज़ल ने लिखा है कि अपने राजा बनने के शुरूआती सालों में अकबर परदे के पीछे ही रहा! परदे के पीछे वो किस बेशर्मी को बेपर्दा कर रहा था उसकी जानकारी आगे पढ़िए।

८. अबुल फज़ल ने अकबर के हरम को इस तरह वर्णित किया है- “अकबर के हरम में पांच हजार औरतें थीं और हर एक का अपना अलग घर था।” ये पांच हजार औरतें उसकी ३६ पत्नियों से अलग थीं।

९. आइन ए अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है- “शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था। वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी। दरबारी नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे। अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी। कई बार जवान लोगों में लड़ाई झगडा भी हो जाता था। एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”।

अब यहाँ सवाल पैदा होता है कि ये वेश्याएं इतनी बड़ी संख्या में कहाँ से आयीं और कौन थीं? आप सब जानते ही होंगे कि इस्लाम में स्त्रियाँ परदे में रहती हैं, बाहर नहीं। और फिर अकबर जैसे नेक मुसलमान को इतना तो ख्याल होगा ही कि मुसलमान औरतों से वेश्यावृत्ति कराना गलत है। तो अब यह सोचना कठिन नहीं है कि ये स्त्रियां कौन थीं। ये वो स्त्रियाँ थीं जो लूट के माल में अल्लाह द्वारा मोमिनों के भोगने के लिए दी जाती हैं, अर्थात काफिरों की हत्या करके उनकी लड़कियां, पत्नियाँ आदि। अकबर की सेनाओं के हाथ युद्ध में जो भी हिंदू स्त्रियाँ लगती थीं, ये उसी की भीड़ मदिरालय में लगती थी।

१०. अबुल फजल ने अकबरनामा में लिखा है- “जब भी कभी कोई रानी, दरबारियों की पत्नियाँ, या नयी लडकियां शहंशाह की सेवा (यह साधारण सेवा नहीं है) में जाना चाहती थी तो पहले उसे अपना आवेदन पत्र हरम प्रबंधक के पास भेजना पड़ता था। फिर यह पत्र महल के अधिकारियों तक पहुँचता था और फिर जाकर उन्हें हरम के अंदर जाने दिया जाता जहां वे एक महीने तक रखी जाती थीं।”

अब यहाँ देखना चाहिए कि चाटुकार अबुल फजल भी इस बात को छुपा नहीं सका कि अकबर अपने हरम में दरबारियों, राजाओं और लड़कियों तक को भी महीने के लिए रख लेता था। पूरी प्रक्रिया को संवैधानिक बनाने के लिए इस धूर्त चाटुकार ने चाल चली है कि स्त्रियाँ खुद अकबर की सेवा में पत्र भेज कर जाती थीं! इस मूर्ख को इतनी बुद्धि भी नहीं थी कि ऐसी कौन सी स्त्री होगी जो पति के सामने ही खुल्लम खुल्ला किसी और पुरुष की सेवा में जाने का आवेदन पत्र दे दे? मतलब यह है कि वास्तव में अकबर महान खुद ही आदेश देकर जबरदस्ती किसी को भी अपने हरम में रख लेता था और उनका सतीत्व नष्ट करता था।

११. रणथंभोर की संधि में अकबर महान की पहली शर्त यह थी कि राजपूत अपनी स्त्रियों की डोलियों को अकबर के शाही हरम के लिए रवाना कर दें यदि वे अपने सिपाही वापस चाहते हैं।

१२. बैरम खान जो अकबर के पिता तुल्य और संरक्षक था, उसकी हत्या करके इसने उसकी पत्नी अर्थात अपनी माता के तुल्य स्त्री से शादी की।

१३. ग्रीमन के अनुसार अकबर अपनी रखैलों को अपने दरबारियों में बाँट देता था। औरतों को एक वस्तु की तरह बांटना और खरीदना अकबर महान बखूबी करता था।

१४. मीना बाजार जो हर नए साल की पहली शाम को लगता था, इसमें सब स्त्रियों को सज धज कर आने के आदेश दिए जाते थे और फिर अकबर महान उनमें से किसी को चुन लेते थे।

नेक दिल अकबर महान

१५. ६ नवम्बर १५५६ को १४ साल की आयु में अकबर महान पानीपत की लड़ाई में भाग ले रहा था। हिंदू राजा हेमू की सेना मुग़ल सेना को खदेड़ रही थी कि अचानक हेमू को आँख में तीर लगा और वह बेहोश हो गया। उसे मरा सोचकर उसकी सेना में भगदड़ मच गयी। तब हेमू को बेहोशी की हालत में अकबर महान के सामने लाया गया और इसने बहादुरी से हेमू का सिर काट लिया और तब इसे गाजी के खिताब से नवाजा गया। (गाजी की पदवी इस्लाम में उसे मिलती है जिसने किसी काफिर को कतल किया हो। ऐसे गाजी को जन्नत नसीब होती है और वहाँ सबसे सुन्दर हूरें इनके लिए बुक होती हैं)। हेमू के सिर को काबुल भिजा दिया गया एवं उसके धड को दिल्ली के दरवाजे से लटका दिया गया ताकि नए आतंकवादी बादशाह की रहमदिली सब को पता चल सके।

१६. इसके तुरंत बाद जब अकबर महान की सेना दिल्ली आई तो कटे हुए काफिरों के सिरों से मीनार बनायी गयी जो जीत के जश्न का प्रतीक है और यह तरीका अकबर महान के पूर्वजों से ही चला आ रहा है।

१७. हेमू के बूढ़े पिता को भी अकबर महान ने कटवा डाला। और औरतों को उनकी सही जगह अर्थात शाही हरम में भिजवा दिया गया।

१८. अबुल फजल लिखता है कि खान जमन के विद्रोह को दबाने के लिए उसके साथी मोहम्मद मिराक को हथकडियां लगा कर हाथी के सामने छोड़ दिया गया। हाथी ने उसे सूंड से उठाकर फैंक दिया। ऐसा पांच दिनों तक चला और उसके बाद उसको मार डाला गया।

१९. चित्तौड़ पर कब्ज़ा करने के बाद अकबर महान ने तीस हजार हिंदू नागरिकों का क़त्ल करवाया।

२०. अकबर ने मुजफ्फर शाह को हाथी से कुचलवाया। हमजबान की जबान ही कटवा डाली। मसूद हुसैन मिर्ज़ा की आँखें सीकर बंद कर दी गयीं। उसके ३०० साथी उसके सामने लाये गए और उनके चेहरे पर गधों, भेड़ों और कुत्तों की खालें डाल कर काट डाला गया। विन्सेंट स्मिथ ने यह लिखा है कि अकबर महान फांसी देना, सिर कटवाना, शरीर के अंग कटवाना, आदि सजाएं भी देते थे।

२१. २ सितम्बर १५७३ के दिन अहमदाबाद में उसने २००० दुश्मनों के सिर काटकर अब तक की सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी। वैसे इसके पहले सबसे ऊंची मीनार बनाने का सौभाग्य भी अकबर महान के दादा बाबर का ही था। अर्थात कीर्तिमान घर के घर में ही रहा!

२२. अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे। यह फिर से एक नया कीर्तिमान था। जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूतों में पानी पीने को दिया गया।

न्यायकारी अकबर महान

२३. थानेश्वर में दो संप्रदायों कुरु और पुरी के बीच पूजा की जगह को लेकर विवाद चल रहा था। अकबर ने आदेश दिया कि दोनों आपस में लड़ें और जीतने वाला जगह पर कब्ज़ा कर ले। उन मूर्ख आत्मघाती लोगों ने आपस में ही अस्त्र शस्त्रों से लड़ाई शुरू कर दी। जब पुरी पक्ष जीतने लगा तो अकबर ने अपने सैनकों को कुरु पक्ष की तरफ से लड़ने का आदेश दिया। और अंत में इसने दोनों तरफ के लोगों को ही अपने सैनिकों से मरवा डाला। और फिर अकबर महान जोर से हंसा।

२४. हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की नीति यही थी कि राजपूत ही राजपूतों के विरोध में लड़ें। बादायुनी ने अकबर के सेनापति से बीच युद्ध में पूछा कि प्रताप के राजपूतों को हमारी तरफ से लड़ रहे राजपूतों से कैसे अलग पहचानेंगे? तब उसने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि किसी भी हालत में मरेंगे तो राजपूत ही और फायदा इस्लाम का ही होगा।

२५. कर्नल टोड लिखते हैं कि अकबर ने एकलिंग की मूर्ति तोड़ी और उस स्थान पर नमाज पढ़ी।

२६. एक बार अकबर शाम के समय जल्दी सोकर उठ गया तो उसने देखा कि एक नौकर उसके बिस्तर के पास सो रहा है। इससे उसको इतना गुस्सा आया कि नौकर को इस बात के लिए एक मीनार से नीचे फिंकवा दिया।

२७. अगस्त १६०० में अकबर की सेना ने असीरगढ़ का किला घेर लिया पर मामला बराबरी का था। न तो वह किला टोड पाया और न ही किले की सेना अकबर को हरा सकी। विन्सेंट स्मिथ ने लिखा है कि अकबर ने एक अद्भुत तरीका सोचा। उसने किले के राजा मीरां बहादुर को आमंत्रित किया और अपने सिर की कसम खाई कि उसे सुरक्षित वापस जाने देगा। तब मीरां शान्ति के नाम पर बाहर आया और अकबर के सामने सम्मान दिखाने के लिए तीन बार झुका। पर अचानक उसे जमीन पर धक्का दिया गया ताकि वह पूरा सजदा कर सके क्योंकि अकबर महान को यही पसंद था।
उसको अब पकड़ लिया गया और आज्ञा दी गयी कि अपने सेनापति को कहकर आत्मसमर्पण करवा दे। सेनापति ने मानने से मना कर दिया और अपने लड़के को अकबर के पास यह पूछने भेजा कि उसने अपनी प्रतिज्ञा क्यों तोड़ी? अकबर ने बच्चे से पूछा कि क्या तेरा पिता आत्मसमर्पण के लिए तैयार है? तब बालक ने कहा कि उसका पिता समर्पण नहीं करेगा चाहे राजा को मार ही क्यों न डाला जाए। यह सुनकर अकबर महान ने उस बालक को मार डालने का आदेश दिया। इस तरह झूठ के बल पर अकबर महान ने यह किला जीता।

यहाँ ध्यान देना चाहिए कि यह घटना अकबर की मृत्यु से पांच साल पहले की ही है। अतः कई लोगों का यह कहना कि अकबर बाद में बदल गया था, एक झूठ बात है।

२८. इसी तरह अपने ताकत के नशे में चूर अकबर ने बुंदेलखंड की प्रतिष्ठित रानी दुर्गावती से लड़ाई की और लोगों का क़त्ल किया।

अकबर महान और महाराणा प्रताप

२९. ऐसे इतिहासकार जिनका अकबर दुलारा और चहेता है, एक बात नहीं बताते कि कैसे एक ही समय पर राणा प्रताप और अकबर महान हो सकते थे जबकि दोनों एक दूसरे के घोर विरोधी थे?

३०. यहाँ तक कि विन्सेंट स्मिथ जैसे अकबर प्रेमी को भी यह बात माननी पड़ी कि चित्तौड़ पर हमले के पीछे केवल उसकी सब कुछ जीतने की हवस ही काम कर रही थी। वहीँ दूसरी तरफ महाराणा प्रताप अपने देश के लिए लड़ रहे थे और कोशिश की कि राजपूतों की इज्जत उनकी स्त्रियां मुगलों के हरम में न जा सकें। शायद इसी लिए अकबर प्रेमी इतिहासकारों ने राणा को लड़ाकू और अकबर को देश निर्माता के खिताब से नवाजा है!

अकबर महान अगर, राणा शैतान तो
शूकर है राजा, नहीं शेर वनराज है
अकबर आबाद और राणा बर्बाद है तो
हिजड़ों की झोली पुत्र, पौरुष बेकार है
अकबर महाबली और राणा बलहीन तो
कुत्ता चढ़ा है जैसे मस्तक गजराज है
अकबर सम्राट, राणा छिपता भयभीत तो
हिरण सोचे, सिंह दल उसका शिकार है
अकबर निर्माता, देश भारत है उसकी देन
कहना यह जिनका शत बार धिक्कार है
अकबर है प्यारा जिसे राणा स्वीकार नहीं
रगों में पिता का जैसे खून अस्वीकार है।
अकबर और इस्लाम

३१. हिन्दुस्तानी मुसलमानों को यह कह कर बेवकूफ बनाया जाता है कि अकबर ने इस्लाम की अच्छाइयों को पेश किया। असलियत यह है कि कुरआन के खिलाफ जाकर ३६ शादियाँ करना, शराब पीना, नशा करना, दूसरों से अपने आगे सजदा करवाना आदि करके भी इस्लाम को अपने दामन से बाँधे रखा ताकि राजनैतिक फायदा मिल सके। और सबसे मजेदार बात यह है कि वंदे मातरम में शिर्क दिखाने वाले मुल्ला मौलवी अकबर की शराब, अफीम, ३६ बीवियों, और अपने लिए करवाए सजदों में भी इस्लाम को महफूज़ पाते हैं! किसी मौलवी ने आज तक यह फतवा नहीं दिया कि अकबर या बाबर जैसे शराबी और समलैंगिक मुसलमान नहीं हैं और इनके नाम की मस्जिद हराम है।

३२. अकबर ने खुद को दिव्य आदमी के रूप में पेश किया। उसने लोगों को आदेश दिए कि आपस में “अल्लाह ओ अकबर” कह कर अभिवादन किया जाए। भोले भाले मुसलमान सोचते हैं कि वे यह कह कर अल्लाह को बड़ा बता रहे हैं पर अकबर ने अल्लाह के साथ अपना नाम जोड़कर अपनी दिव्यता फैलानी चाही। अबुल फज़ल के अनुसार अकबर खुद को सर्वज्ञ (सब कुछ जानने वाला) की तरह पेश करता था। ऐसा ही इसके लड़के जहांगीर ने लिखा है।

३३. अकबर ने अपना नया पंथ दीन ए इलाही चलाया जिसका केवल एक मकसद खुद की बडाई करवाना था। उसके चाटुकारों ने इस धूर्तता को भी उसकी उदारता की तरह पेश किया!

३४. अकबर को इतना महान बताए जाने का एक कारण ईसाई इतिहासकारों का यह था कि क्योंकि इसने हिंदू धर्म और इस्लाम दोनों का ही जम कर अपमान किया और इस तरह भारत में अंग्रेजों के इसाईयत फैलाने के उद्देश्य में बड़ा कारण बना। विन्सेंट स्मिथ ने भी इस विषय पर अपनी राय दी है।

३५. अकबर भाषा बोलने में बड़ा चतुर था। विन्सेंट स्मिथ लिखता है कि मीठी भाषा के अलावा उसकी सबसे बड़ी खूबी अपने जीवन में दिखाई बर्बरता है!

३६. अकबर ने अपने को रूहानी ताकतों से भरपूर साबित करने के लिए कितने ही झूठ बोले। जैसे कि उसके पैरों की धुलाई करने से निकले गंदे पानी में अद्भुत ताकत है जो रोगों का इलाज कर सकता है। ये वैसे ही दावे हैं जैसे मुहम्मद साहब के बारे में हदीसों में किये गए हैं। अकबर के पैरों का पानी लेने के लिए लोगों की भीड़ लगवाई जाती थी। उसके दरबारियों को तो यह अकबर के नापाक पैर का चरणामृत पीना पड़ता था ताकि वह नाराज न हो जाए।

अकबर महान और जजिया कर

३७. इस्लामिक शरीयत के अनुसार किसी भी इस्लामी राज्य में रहने वाले गैर मुस्लिमों को अगर अपनी संपत्ति और स्त्रियों को छिनने से सुरक्षित रखना होता था तो उनको इसकी कीमत देनी पड़ती थी जिसे जजिया कहते थे। यानी इसे देकर फिर कोई अल्लाह व रसूल का गाजी आपकी संपत्ति, बेटी, बहन, पत्नी आदि को नहीं उठाएगा। कुछ अकबर प्रेमी कहते हैं कि अकबर ने जजिया खत्म कर दिया था। लेकिन इस बात का इतिहास में एक जगह भी उल्लेख नहीं! केवल इतना है कि यह जजिया रणथम्भौर के लिए माफ करने की शर्त राखी गयी थी जिसके बदले वहाँ के हिंदुओं को अपनी स्त्रियों को अकबर के हरम में भिजवाना था! यही कारण बना की इन मुस्लिम सुल्तानों के काल में हिन्दू स्त्रियाँ जौहर में जलना अधिक पसंद करती थी।

३८. यह एक सफ़ेद झूठ है कि उसने जजिया खत्म कर दिया। आखिरकार अकबर जैसा सच्चा मुसलमान जजिया जैसे कुरआन के आदेश को कैसे हटा सकता था? इतिहास में कोई प्रमाण नहीं कि उसने अपने राज्य में कभी जजिया बंद करवाया हो।

अकबर महान और उसका सपूत

३९. भारत में महान इस्लामिक शासन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि बादशाह के अपने बच्चे ही उसके खिलाफ बगावत कर बैठते थे! हुमायूं बाबर से दुखी था और जहांगीर अकबर से, शाहजहां जहांगीर से दुखी था तो औरंगजेब शाहजहाँ से। जहांगीर (सलीम) ने १६०२ में खुद को बादशाह घोषित कर दिया और अपना दरबार इलाहबाद में लगाया। कुछ इतिहासकार कहते हैं की जोधा अकबर की पत्नी थी या जहाँगीर की, इस पर विवाद है। सच तो ये है कि जोधा नामक किसी व्यक्ति का ज़िक्र इतिहास के पन्नों में नहीं है। हाँ, एक मनभावती का ज़िक्र है जो सम्भवतः इन दोनों बाप बेटों के दरिंदगी की शिकार थी। शायद यही बाप-बेटे की दुश्मनी का कारण बना, क्योंकि सल्तनत के तख़्त के लिए तो जहाँगीर के अलावा कोई और दावेदार था ही नहीं!

४०. ध्यान रहे कि इतिहासकारों के लाडले और सबसे उदारवादी राजा अकबर ने ही सबसे पहले “प्रयागराज” जैसे काफिर शब्द को बदल कर इलाहबाद कर दिया था।

४१. जहांगीर अपने अब्बूजान अकबर महान की मौत की ही दुआएं करने लगा। स्मिथ लिखता है कि अगर जहांगीर का विद्रोह कामयाब हो जाता तो वह अकबर को मार डालता। बाप को मारने की यह कोशिश यहाँ तो परवान न चढी लेकिन आगे जाकर आखिरकार यह सफलता औरंगजेब को मिली जिसने अपने अब्बू को कष्ट दे दे कर मारा। वैसे कई इतिहासकार यह कहते हैं कि अकबर को जहांगीर ने ही जहर देकर मारा।

अकबर महान और उसका शक्की दिमाग

४२. अकबर ने एक आदमी को केवल इसी काम पर रखा था कि वह उनको जहर दे सके जो लोग अकबर को पसंद नहीं!

४३. अकबर महान ने न केवल कम भरोसेमंद लोगों का कतल कराया बल्कि उनका भी कराया जो उसके भरोसे के आदमी थे जैसे- बैरम खान (अकबर का गुरु जिसे मारकर अकबर ने उसकी बीवी से निकाह कर लिया), जमन, असफ खान (इसका वित्त मंत्री), शाह मंसूर, मानसिंह, कामरान का बेटा, शेख अब्दुरनबी, मुइजुल मुल्क, हाजी इब्राहिम और बाकी सब मुल्ला जो इसे नापसंद थे। पूरी सूची स्मिथ की किताब में दी हुई है। और फिर जयमल जिसे मारने के बाद उसकी पत्नी को अपने हरम के लिए खींच लाया और लोगों से कहा कि उसने इसे सती होने से बचा लिया!

समाज सेवक अकबर महान

४४. अकबर के शासन में मरने वाले की संपत्ति बादशाह के नाम पर जब्त कर ली जाती थी और मृतक के घर वालों का उस पर कोई अधिकार नहीं होता था।

४५. अपनी माँ के मरने पर उसकी भी संपत्ति अपने कब्जे में ले ली जबकि उसकी माँ उसे सब परिवार में बांटना चाहती थी।

अकबर महान और उसके नवरत्न

४६. अकबर के चाटुकारों ने राजा विक्रमादित्य के दरबार की कहानियों के आधार पर उसके दरबार और नौ रत्नों की कहानी घड़ी है। असलियत यह है कि अकबर अपने सब दरबारियों को मूर्ख समझता था। उसने कहा था कि वह अल्लाह का शुक्रगुजार है कि इसको योग्य दरबारी नहीं मिले वरना लोग सोचते कि अकबर का राज उसके दरबारी चलाते हैं वह खुद नहीं।

४७. प्रसिद्ध नवरत्न टोडरमल अकबर की लूट का हिसाब करता था। इसका काम था जजिया न देने वालों की औरतों को हरम का रास्ता दिखाना।

४८. एक और नवरत्न अबुल फजल अकबर का अव्वल दर्जे का चाटुकार था। बाद में जहाँगीर ने इसे मार डाला।

४९. फैजी नामक रत्न असल में एक साधारण सा कवि था जिसकी कलम अपने शहंशाह को प्रसन्न करने के लिए ही चलती थी। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि वह अपने समय का भारत का सबसे बड़ा कवि था। आश्चर्य इस बात का है कि यह सर्वश्रेष्ठ कवि एक अनपढ़ और जाहिल शहंशाह की प्रशंसा का पात्र था! यह ऐसी ही बात है जैसे कोई अरब का मनुष्य किसी संस्कृत के कवि के भाषा सौंदर्य का गुणगान करता हो!

५०. बुद्धिमान बीरबल शर्मनाक तरीके से एक लड़ाई में मारा गया। बीरबल अकबर के किस्से असल में मन बहलाव की बातें हैं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं। ध्यान रहे कि ऐसी कहानियाँ दक्षिण भारत में तेनालीराम के नाम से बहुत पहले से प्रचलित हैं।

५१. अगले रत्न शाह मंसूर दूसरे रत्न अबुल फजल के हाथों सबसे बड़े रत्न अकबर के आदेश पर मार डाले गए!

५२. मान सिंह जो देश में पैदा हुआ सबसे नीच गद्दार था, ने अपनी बहन जहांगीर को दी। और बाद में इसी जहांगीर ने मान सिंह की पोती को भी अपने हरम में खींच लिया। यही मानसिंह अकबर के आदेश पर जहर देकर मार डाला गया और इसके पिता भगवान दास ने आत्महत्या कर ली।

५३. इन नवरत्नों को अपनी बीवियां, लडकियां, बहनें तो अकबर की खिदमत में भेजनी पड़ती ही थीं ताकि बादशाह सलामत उनको भी सलामत रखें। और साथ ही अकबर महान के पैरों पर डाला गया पानी भी इनको पीना पड़ता था जैसा कि ऊपर बताया गया है।

५४. रत्न टोडरमल अकबर का वफादार था तो भी उसकी पूजा की मूर्तियां अकबर ने तुडवा दीं। इससे टोडरमल को दुःख हुआ और इसने इस्तीफ़ा दे दिया और वाराणसी चला गया।

अकबर और उसके गुलाम

५५. अकबर ने एक ईसाई पुजारी को एक रूसी गुलाम का पूरा परिवार भेंट में दिया। इससे पता चलता है कि अकबर गुलाम रखता था और उन्हें वस्तु की तरह भेंट में दिया और लिया करता था।

५६. कंधार में एक बार अकबर ने बहुत से लोगों को गुलाम बनाया क्योंकि उन्होंने १५८१-८२ में इसकी किसी नीति का विरोध किया था। बाद में इन गुलामों को मंडी में बेच कर घोड़े खरीदे गए।

५७. जब शाही दस्ते शहर से बाहर जाते थे तो अकबर के हरम की औरतें जानवरों की तरह सोने के पिंजरों में बंद कर दी जाती थीं।

५८. वैसे भी प्रचलित इस्लाम के नियमों के अनुसार युद्ध में पकडे गए लोग और उनके बीवी बच्चे गुलाम समझे जाते हैं जिनको अपनी हवस मिटाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। इस्लामी आलिमों का अनुसार अल्लाह ने कुरान में यह व्यवस्था दे रखी है।

५९. अकबर बहुत नए तरीकों से गुलाम बनाता था। उसके आदमी किसी भी घोड़े के सिर पर एक फूल रख देते थे। फिर बादशाह की आज्ञा से उस घोड़े के मालिक के सामने दो विकल्प रखे जाते थे, या तो वह अपने घोड़े को भूल जाये, या अकबर की वित्तीय गुलामी क़ुबूल करे।

कुछ और तथ्य

६०. जब अकबर मरा था तो उसके पास दो करोड़ से ज्यादा अशर्फियाँ केवल आगरे के किले में थीं। इसी तरह के और खजाने छह और जगह पर भी थे। इसके बावजूद भी उसने १५९५-१५९९ की भयानक भुखमरी के समय एक सिक्का भी देश की सहायता में खर्च नहीं किया।

६१. अकबर ने प्रयागराज (जिसे बाद में इसी धर्म निरपेक्ष महात्मा ने इलाहबाद नाम दिया था) में गंगा के तटों पर रहने वाली सारी आबादी का क़त्ल करवा दिया और सब इमारतें गिरा दीं क्योंकि जब उसने इस शहर को जीता तो लोग उसके इस्तकबाल करने की जगह घरों में छिप गए। यही कारण है कि प्रयागराज के तटों पर कोई पुरानी इमारत नहीं है।

६२. एक बहुत बड़ा झूठ यह है कि फतेहपुर सीकरी अकबर ने बनवाया था। इसका कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है। बाकी दरिंदे लुटेरों की तरह इसने भी पहले सीकरी पर आक्रमण किया और फिर प्रचारित कर दिया कि यह मेरा है। इसी तरह इसके पोते और इसी की तरह दरिंदे शाहजहाँ ने यह ढोल पिटवाया था कि ताज महल इसने बनवाया है वह भी अपनी चौथी पत्नी की याद में जो इसके और अपने सत्रहवें बच्चे को पैदा करने के समय चल बसी थी!

तो ये कुछ उदाहरण थे अकबर “महान” के जीवन से ताकि आपको पता चले कि हमारे नपुंसक इतिहासकारों की नजरों में महान बनना क्यों हर किसी के बस की बात नहीं। क्या इतिहासकार और क्या फिल्मकार और क्या कलाकार, सब एक से एक मक्कार, देशद्रोही, कुल कलंक, नपुंसक हैं जिन्हें फिल्म बनाते हुए अकबर तो दीखता है पर महाराणा प्रताप कहीं नहीं दीखता। अब देखिये कि अकबर पर बनी फिल्मों में इस शराबी, नशाखोर, बलात्कारी, और लाखों हिंदुओं के हत्यारे अकबर के बारे में क्या दिखाया गया है और क्या छुपाया। बैरम खान की पत्नी, जो इसकी माता के सामान थी, से इसकी शादी का जिक्र किसी ने नहीं किया। इस जानवर को इस तरह पेश किया गया है कि जैसे फरिश्ता! जोधाबाई से इसकी शादी की कहानी दिखा दी पर यह नहीं बताया कि जोधा असल में जहांगीर की पत्नी थी और शायद दोनों उसका उपभोग कर रहे थे। दिखाया यह गया कि इसने हिंदू लड़की से शादी करके उसका धर्म नहीं बदला, यहाँ तक कि उसके लिए उसके महल में मंदिर बनवाया! असलियत यह है कि बरसों पुराने वफादार टोडरमल की पूजा की मूर्ति भी जिस अकबर से सहन न हो सकी और उसे झट तोड़ दिया, ऐसे अकबर ने लाचार लड़की के लिए मंदिर बनवाया, यह दिखाना धूर्तता की पराकाष्ठा है। पूरी की पूरी कहानियाँ जैसे मुगलों ने हिन्दुस्तान को अपना घर समझा और इसे प्यार दिया, हेमू का सिर काटने से अकबर का इनकार, देश की शान्ति और सलामती के लिए जोधा से शादी, उसका धर्म परिवर्तन न करना, हिंदू रीति से शादी में आग के चारों तरफ फेरे लेना, राज महल में जोधा का कृष्ण मंदिर और अकबर का उसके साथ पूजा में खड़े होकर तिलक लगवाना, अकबर को हिंदुओं को जबरन इस्लाम क़ुबूल करवाने का विरोधी बताना, हिंदुओं पर से कर हटाना, उसके राज्य में हिंदुओं को भी उसका प्रशंसक बताना, आदि ऐसी हैं जो असलियत से कोसों दूर हैं जैसा कि अब आपको पता चल गयी होंगी। “हिन्दुस्तान मेरी जान तू जान ए हिन्दोस्तां” जैसे गाने अकबर जैसे बलात्कारी, और हत्यारे के लिए लिखने वालों और उन्हें दिखाने वालों को उसी के सामान झूठा और दरिंदा समझा जाना चाहिए।

चित्तौड़ में तीस हजार लोगों का कत्लेआम करने वाला, हिंदू स्त्रियों को एक के बाद एक अपनी पत्नी या रखैल बनने पर विवश करने वाला, नगरों और गाँवों में जाकर नरसंहार कराकर लोगों के कटे सिरों से मीनार बनाने वाला, जिस देश के इतिहास में महान, सम्राट, “शान ए हिन्दोस्तां” लिखा जाए और उसे देश का निर्माता कहा जाए कि भारत को एक छत्र के नीचे उसने खड़ा कर दिया, उस देश का विनाश ही होना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ जो ऐसे दरिंदे, नपुंसक के विरुद्ध धर्म और देश की रक्षा करता हुआ अपने से कई गुना अधिक सेनाओं से लड़ा, जंगल जंगल मारा मारा फिरता रहा, अपना राज्य छोड़ा, सब साथियों को छोड़ा, पत्तल पर घास की रोटी खाकर भी जिसने वैदिक धर्म की अग्नि को तुर्की आंधी से कभी बुझने नहीं दिया, वह महाराणा प्रताप इन इतिहासकारों और फिल्मकारों की दृष्टि में “जान ए हिन्दुस्तान” तो दूर “जान ए राजस्थान” भी नहीं था! उसे सदा अपने राज्य मेवाड़ की सत्ता के लिए लड़ने वाला एक लड़ाका ही बताया गया जिसके लिए इतिहास की किताबों में चार पंक्तियाँ ही पर्याप्त हैं। ऐसी मानसिकता और विचारधारा, जिसने हमें अपने असली गौरवशाली इतिहास को आज तक नहीं पढ़ने दिया, हमारे कातिलों और लुटेरों को महापुरुष बताया और शिवाजी और राणा प्रताप जैसे धर्म रक्षकों को लुटेरा और स्वार्थी बताया, को आज अपने पैरों तले रौंदना है।

संकल्प कीजिये कि अब आपके घर में अकबर की जगह राणा प्रताप की चर्चा होगी। क्योंकि इतना सब पता होने पर यदि अब भी कोई अकबर के गीत गाना चाहता है तो उस देशद्रोही और धर्मद्रोही को कम से कम इस देश में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

अब तो न अकबर न बाबर से वहशी
दरिन्दे कभी पुज न पायें धरा पर
जो नाम इनका ले कोई अपनी जबाँ से
बता देना राणा की तलवार का बल
इस धूर्त दरिन्दे के पर्दाफाश के बाद, भारत के सच्चे सपूत को अग्निवीर का शत शत नमन :
कोई पूछे कितना था राणा का भाला
तो कहना कि अकबर के जितना था भाला
जो पूछे कोई कैसे उठता था भाला
बता देना हाथों में ज्यों नाचे माला
चलाता था राणा जब रण में ये भाला
उठा देता पांवों को मुग़लों के भाला
जो पूछे कभी क्यों न अकबर लड़ा तो
बता देना कारण था राणा का भाला।

उपरलिखित तथ्यों का विस्तार जानने के लिए पढ़ें:

1. Akbar – the Great Mogul by Vincent Smith
2. Akbarnama by Abul Fazl
3. Ain-e-Akbari by Abul Fazl
4. Who says Akbar is Great by PN Oak
5. http://www.hindunet.org/hindu_history/modern/akbar_vs.html
6. http://www.hindunet.org/hindu_history/modern/akbar_ppg.html
This article is also available in English at http://agniveer.com/3175/akbar/

Agniveer
Agniveer
Vedic Dharma, honest history, genuine human rights, impactful life hacks, honest social change, fight against terror, and sincere humanism.

918 COMMENTS

  1. Chakraborty Bhaisaab. Hope you remembered your Indra Bhagwaan
    72 Vesshaye…Bhai Sayad aap apne Indra Bhagwaan ko bhul gaye Jinke Darbaar me apsara Nirtya Nach aur aayasiya karti hai…Ye kaun sa dharm hai …jha bhagwan aruto ka nach khud dekhta hai..wo bhi sare bhagwan ke sath …ye kaun sa dharm hai.Jaha bhagwan nahati aurto ke kapre le ke bhagte hain….aur unko bina vastra ke samne aane ke liye kahte hai….Jaha bhagwan apni hi bibi ko sirf ek shaq qi wajah se use jangal me chhor deta hai unke dono bachho ke sath sita…waise to aap ke Krishna ji jab kanyawo ke kapde churate the 6 saal ke bacche they par us age me wo aisa karte the isliye aage chal kar unki 16,000 patniya thi ab ham isko kya samjhe kya unsab se Krishna ji ka vivah hogaya tha ya fir unko is bat ki azadi thi ke wo jab chahe kisi se bhi sex karsake aisi? Jab tumhare bhagwan he yeh sab karte chale aaye hai to tum logo se aisi he ummid ki jasakti hai aur ise Dumb religion kaha jata hai, aisa pure world me kahin dekhne ko nahi milega aur Agar tumare kehne ke mutabik musalmaan islaam se bandhe hai to mere is sawal ka jawab do ke hinduwo ka astitva kab hua? Kaise hua aur ab jo tumhare devi devta hai wo kahan par rehte hai aur ha yeh mat kehna ke murtyo me rehte hai ha ha ha….

    • kya kuran ke pathak “gadhe ” hote hai ?
      muhammad ji ka jivan 40 saal ki umr ke pahale achha tha baad me to bahut kharab ho gaya tha
      jhuth ki buniyad meto kuran hai aur uska kalpit allah hai dekhe kuran 38/75 jisme vah “dono hath” hone ka daavaa karta hai ! hamare muslim to kahate hai li allah ek noor hai 1
      kya noor ke dono haath hote hai ?
      kai karod muslim bhi to dargaho me jakar shish jhukate hai kaaba ki dishame namaz padhna usko chumana aur us kaaba ke chakkar laagana y yah sab kya kaha jayega kya kaba ek patthar nahi hai !
      indr raja tha bhagvan[ishvar ] nahi
      72 huro ka kya unse mukabla karenge / agar indr galat hai to hure kyo “pak “kahi jayengi !
      krishn ne 16000 balikao se sex nahi kiya tah aagar kiya hota to bachbe bhi hotejo nahi huye jara 16000 se 365 se bahag kijiye karib 43-44 saal baad pahalibalika ka namabar ayega kya asa sambhav hai ?
      bahut se mahilao se sex karne ki azadi to muhammad ji ko jarur thi vah bhi khudeeza ji ke marne ke baad jinho ne bahut si mahilao se bagair nikah ke sex kiya tha aur mariya kabti se ek bachha bi paida kiya tha 1 aur alpit aalalh ka rasul hone ka saav a karne ke baad bhi vah us bachhe ki jaan nahi bacha paya tha !
      apni jan bhi nahi bacha paay sirf 63 saal ki umr me unki maut ho gayi jabki usse jayda umr to unke shagird bahut se muslim bhi pa jate hai 1 kitna bada mazak hai ki guru ki umr kam aur unke sahgirdo ki umr jyada bhi ho jati hai kitna bada kalpit allah ‘nyay” kar lete hai batlaiye aisa kis karm ke fal se kalpit alla h aisa karte hai !
      yah brahmand jab s e bana hai tab se ary log the aur sabse purani kitab ved hai ! kalpit devi devtao ka astitv nahi hai jaise kalpit farishtio ka hure gilmo ka astitv nahi hai

    • Bhai ye TV serial aur Islamist version of Hinduism se bahar niklo. Devatas are not infallible. Krishna ki kahaniyaan kahaan padhin aapne, 16000 ladkiyan jinhe abduct kar liya gaya tha unhe apna naam diya tha bas. Padhna hai to padho Kundalini ke baare me, Advaita ke baare me, Swami Vivekananda ke works padho. Muhammad ki terah Caravan lootke aur Bacchion ke saath sambhog karke jo dharm bana hai use manoge to dehshatgard hi banoge.
      Muhammad Pankh waale Ghode pe udke jannat gaya, Kya mazaak hai ye
      Ye Ferishte kya hote hain, Muhammad jab apni biwi baja raha tha tab ferishton ne aake ayat batai, Kya panti hai ye
      Abu Bakr ne beti ki shaadi karadi kursi ke chakkar me, pehle 4 khalifa me se 3 ka to murder hi hua, Yazid ne Hussain ko maara.
      Arre Khoon, Qatl, Conversion aur sex chodke kuch hai kya aapke dharm me. Kya mazaak bana rakkha hai. Alif Laila ki kahaniyaan chal rahi hain kya.
      Bhai ye arabi bhasad apne ghar pe rakkho, aur hum pe mat chado, Iran , Arabia, Egypt to apne jet liya 200 saalon meEurope me spain me laat padi aur yahaan Ganga me nayya doob gayi. Hum pe agar chadhe to utaar diye jaoge. Fir lena 72 hooron se maze araam se

      • are wo point ki dukaan @chakraborty bhaii u know what mujhe mithun da ki yaad aati hai ‘chakraborty’ yeh name sun kar jo bike ke piche se filmo me goliya chalet, toh kabhi goli ko catch kar baithte, aur kabhi toh hadh he kardete ungli se kisi ke sar me hole kardete I thing aap bhi aisa karte hoge kutto aur billiyo ke sath baith kar unke pichwade me hole karte firte honge na Lolz…, tumko agar quraan samajh me nahi aati to tumhari akal he utini hai, tumse agar koi puchega ke akal badhi ke bhains toh aap kahege bhains badhi hai kiw ke wo akal ke mukable size me badhi hai ha…ha..ha..ha_____ Point No. 5 Bhai mai to meat khaata hun aur sabse favourite suar ka meat lagta_____toh wohi khakar tumhari soch bhi usi ki tarah worst hogayi hai aur gai mata ka mutra pi kar yeh acchi giza hai tum jaiso ke liye right??_____Point no. 6 Mere naadan Bhaiiii, Devataon aur Parameshwar me difference hai.____ toh tumhare devtao ke he aise karam hai toh unka asar tum par toh hoga he 16000 biwiya rakho phir, ya phir ek biwi ke 5 pati rakha karo.
        Lekin akal ke dushman Ajmer me unka mazaar hai unki murti nahi hai aur wo tumhare dharm ke log jakar wahan par bhi puja path karne lag jate ho hum log wahan par sirf unka zikr karne jaate apni ankhe aur soya hua dimaag khol kar dekho
        Arey tum jaiso ke sawalo me koi dum he nahi hai bus hawabazi bhari huyi hai jao jakar koi gyani lekar aao jo baat karne ke layak ho
        Aapki li huyi taallim dikh rahi hai kitni acchi hai hahahaha…. Ab kawwa hame batayega ke gora kaise bante hai very nice Lolz.

      • kya dargaho me jakar “hi ” unko yaad kiya ja sakta hai apne apane gahro me yaad nahi kiya ja skata hai
        fir fool agarbatti chadar chahdne ke kary kyo kiya jata hai kyo vahan jakar shish jhukaye jate hai !
        jab quran svayam ulti sidhi pesh ki gayi hai to usko kya kahenge ? aaj ki kuran me 96 vala adhayay ho sabs e pahale ayat pesh ki agyi thi jisko iten baad me raka gaya hai ! kuran ki kitab ke rup mepeshkarne avle ki akl kitni thi yah isse maloom ho jatahai
        jo kuran ke 114 adhyaya ke nam rakhe gay ehai kya vai kalpit kurani alalh ne sujhaye the ?
        oont ka pshab to muahammad ji bhi dudh ke saath pilvate the dekhe bukharee hadees 8/82/794 jo khud oont ka peshab pilvate hao unke shagirdon ke munh se aise arop achhe nahi lagte hai !

      • yaar salwalo me dam hain unke aap k javabo me damnahi ..chalo wo to gau mutar pite hain jab ki islam me camel ka mut pina likha hain ..mohmmad har marz ko apne thuk se thik kar dete the ..ha ha ha ..16000 aurte rakhi koi luti nahi kisi 9 sal ki ladki se nikah nahi kiya …jo kaam mohmmad ne kiya …uska asar tum per bhi science bhi katha hain bhai bhen ki aulado me bhudhi ka vikas nahi hota wahi haal mullo ka hain

      • Are bhau quraan start se padh kar aao mere saamne. Tumne quraan padhi? Hadees padhi hai? bas internet par jo mila who utha ke chipka diya wo suna he hoga “neem hakim khatra e jaan” waisa bilkul tumhare sath hai
        ____Point 2. Bhai Sanatn me koi convert nahi hota, Sanatn Satya hai, wo kisi thekedaar paigambar ki jaagir nahi____ toh prove .toh karo ke tumhara astitva kaise hua kisne kiya yeh toh pata nahi kuch log toh kehte hai ke Darwin ke hisaab se insaan pehle Bandar tha toh kya aap Bandar ki santaan ho? Iske bilkul ulat quran me detail se bataya gaya hai har ek chiz ke bare me par Bandar kya jane adrak ka swaad…ha.ha.ha.ha
        ___Krishna ki kahaniyaan kahaan padhin aapne, 16000 ladkiyan jinhe abduct kar liya gaya tha___ kisne dekha jaisa aap keh rahe hai nahate huye ladkiyo ke kapde chupana yeh sab kya jhuut hai biwiyo ke bhandaar bhar ke rakhna yeh sab jhut hai.. tum na pehle apne daram ke bare me thik se jankari hasil karo baad me quraan ki baat karna waise yeh manch tumhara hai tum apni he ghanta bajate rahoge agar pichwade me dum hai kiw nahi aapke baap zakir naik se sawal puchte..

      • kya dharm ko manane ke liye kisi paigambar ki anuivaryta jaruri hoti hai ?
        kuran 2/65 me to kalpit kurani allah ne insano ko hi bandar banva diya tha
        jara batalaiye kis” tarike” se banaye the ! ya to yah kahiye ki yah sab gapp baji thi
        “bandarkya jane adark ka svad” kuran ki kis ayat me aya hai yah to batla dijiye!
        aapke zakir ji bhi hamari bato ke javab nahi de pate agar aapme himmat hai to hamare savalo ke javab unse puchkar aap hi de dijiye
        kuran ka armbh hi sahi tarike se nahi haua yah bhi to kuran ka bhahtkav hai !

      • chalo ab dimaag ankhe aur jo kholna hai woh khol ke in sawalo ka jawab dena ki taklif karna..Aap kaun se ved ko follow karte ho, Aapka Main bhagwan hai kaun, Jiv Hatya kiw pap hain, Marne ke baad parlok kya hain, Mare huwe wyakti ki Aatma ki shanti ka kya Arth hai? Jisne aapko banaya aap usko kaise bana sakte ho, Purane Zamane me rishimuni kisi murti ke samne tapsya kyu nhi karte the,wo kaun se bhagwan ka anusharn karte the? Hindu dharm kaun si kitab me likha hindu word? Jinhone bataya sabka Maalik ‘EK hai’ to unko kaise apna Malik mante ho? To phir Unke Maalik kaun hai? Aap Ravan ko Agni kyu dete ho? Shiv ki patni parvati ne apne body ke mitti se kaise ganesh ko banaya, phir aapke shiv ji jinko aap bhagwaan kehte ho unhone itne gusse me apne he bete ganesh ka sar kaat kar kiw uski hatya kardi, unhe chotese bachche par daya nahi aayi, aur aage phir uske upar hathi ka sar lagwa diya kaise? Phir maine padha hai ke Mahabarath me jo ‘karan’ the jinko daanveer karan bhi kaha jata hai unka janm sirf unki mata ke dwara suraj ki tapssya karne se hua is liye unko ‘sood putra’ aisa kuch kaha jata raha hai aisa kaise hua bhala?? Jab bhagwan ko char hath pair hai apke hisab se to ye aapke lattest bhagwano ko kyu nahi hai.. aisa fake aur bulshit hai aapka dharam toh aapjaiso ko he mubarak ho. hum toh thukna bhi pasand nahi karte aise jagah par… Jankari lena galat nhi hota par farq itna hai ki use galat tarike se loge, dekhoge to wo galat hi lagegi Pehle khud ko tolo ki sach aur jhoot me fark kya hain sirf internet par char Aayate jaankar Islam ka Niskarsh nhi nikala ja sakata

      • jab khud kuran ki bato ka javab nahi de pate to prashn puchne ka adhikaar bhi apko kaise mil gaya hai !
        ved ek hai uske khand 4 hai fir “kis” vali bat kaise ho jayegi ?
        ishvar sirf ek hai vah nirakaar hai[ vah satve asman me ek singhasn me baitha hua nahi hai uske paas koi farishto ki fauj nahi hai usse milne ekliyeburrak namaka janvar mebaithkar jaya nahi ja sakta hai]
        “dusare ke saath vahi vyavhaar karo jo apne liye bhi pasand aye” yahi vyavharik dharm hai
        jab ham sab yah nahi chahte ki koi janvar hamare chote bachhe ko bhi ghayal kar marna ki bat bahut dur ki baat hai to ham insan hokar gyani hokar kisi janvar ki hatya kyo kare ? jab fal ful anaj prapul matra me uplabdh hai to mans machali adi kyo kahyi jaye!
        atma shant ya ashan nahi hoti usko” simit” karmo ka fal “simit ” matra me agle janm ke rup me milta hai !
        rishi muni sirf nirakaar ishvar ki aardhna karte the
        kitabo me “ary” milta hai muglo ke shasan me hindu shabd aya hai iske pahale nahi ! muslim, musalman mohamdan adi bhi apko kah diya jata hai vaise hi ary ke bajaye hindu bhi kaha jane laga hai !
        ganesh ki kahani kalpnik hai
        ab aap batalaiye k adam ko kis tarikese kalpit allah n e banaya tha kya vah jameen me aya tha !? kya kalpit allah ata- jata hai ?faishte kis tarike se banaye the
        hure gilme kis ta rike se banayi thi 1
        aur yah jameen suraj chand dharti adi kis tarike se banayi thi !
        burrak namak jjanvar kis tarike se banaya tha aur vah ajakal kaha par ha i aur aise janvar kitne hai !
        karan ka janm kisi “sury” namak vyakti se hua hoga n ki us aag ke gole sury se ? sury aur sood ka anatara to sabhi jantehai vah dono ek nahi hai !
        jo kalpit kurani allah ke” dono haath ” ho [ kuran 38/75] vah kis mujh se 4-6-8-12 hatho par tippdi karne ka adhikar rakhte hai ! hamto asoe devtao ko deviyo ko kalpit kahate hai kya apke pas himmat hai ki aap bhi kurani allah ko kalpit kaah sake ?
        bujdil kaun hua aap ya ham ?
        gulam buddhiheen kaun hai sirf kuran…

      • ha ha ha ha… aap toh bhadak gaye raj bhaisab itna gussa sehat ke liye achcha nahi phir bekar me doctor par aapko paise kharch karne pad jayege.. Calm down. phir bhi sabhi jawab aap thik tarike se nahi de paaye aapka gyan bhi adhura hai..
        main aapko saari qurani ayato ko details me likhkar de sakta hu par uske liye na to yeh manch sahi hai aur na he mujhe itna free time milta hai..
        insaniyat(Manavta) ke rules…
        1.Khud ki wajah se dusro ko takleef na pahunche.
        2.Bhukhe ko khana khilao,
        3.Beemar ki ayadat karo
        4.Aur Qaidi ko chudao.
        5.Mazdoor (labour) ko uski mazdoori uska Paseena Sukhney se pahley de do.
        6.Gunah se bachne ka aasan tarika yeh hai ki Gunahon ko talte raho,gunah se bache rahoge, aise hi jaise tum naiki ko talte rehte ho. .
        7.Kisi ko ilzam dete waqt apne gireban me jarur jhaank lena chahiye.
        8.Kabhi kisi ka dil mat dukhao,kyun ki muaafi mang lene ke bawajood bhi usey dukh zaroor rahega, Jaise deewar mein lagi keel ko nikaalne k bawajood bhi Nishan baki reh jata hai.
        9.Koi tumhara dil dukhaye tuo naraz mat hona,kyun ki Qudrat ka yehi qanoon hai jis darakht ka phal zyada mitha hota hai log patthar bhi usi ko marte hai.
        10.Ek saccha rishta barish ki tarah nahi hota jo aye aur chala jaye balki hawa ki tarah hota hai jo dikhta nahi par hamesha har pal mehsoos hota hai. etc
        asal me yeh hoti hai insaaniyat ki nishaaniya.
        toh khud ko check karlo ke aap me in me se kitne points milte hai aur kitne nahi….

      • Abe puri jankari le tb bat krna tu.. Ye teri soch se upr ki bate H.. Teri smjh me hnhi ayegi kyoki tu ochha H.. Kisi hindu ne videsh me jakr loot paat nhi ki.. Na hi kisi ki patniyo ko marA..or blatkar kiya.. Atayachar krte ha tmhre dhrm k log isis ko le lo.. Devtao or allah ki bat mt kr.usko manne walo ki bat kr tu.. Janta kya h tu.. Moorkh kyo tmhare porbjo ne Atayachar kiy hmne tmhare dhrm nhi mane to bacho ko deewar me chun wa diya sala aurangjeb

    • first indra not a bhagwan he is a dev but jo kuch bi unhone kiya uski saza bhi kati h
      lekin momden to ravan ki bahan surpankha ke vanshaj h

  2. kalpit kurani allah ke ati nikatatam shri haatim ji , jab ham kuran ko ek mazahabi kitab hi nahi mante to uski baat ham kyo nahi kar sakte hai
    is m anch me uski bat hoti hai isliye ham is manch me bat kar lete hai
    hamto zakir ji ke manch me bhi bat kar chuke hai vahaan se bhi javab nahi milta agar apko milta ho to joprashn hamne r akhe hai unke javab lekar aap hamko de dijye1
    kya sirf6 saal ki aysa ji ka nikah vajib tha ? kya vah sex samajhti thi
    krishn ke 16000 bibiya nahi thi agar hoti to unke bachhe bhi hote jo nahi the 1
    bhagvan har samarthyvan vyakti ko kah diya jata hai jaise raja doctar nyaydhish adi ko bhi
    jab kalpit kurani allah jara si kuran ka sandesh dene ke liye farishto ki sahayta le sakte hai to raam kyo nahi le sakte ?
    [musa ko to sidhe gyan diya tha to muahammad ji ko kyo nahi de paye the , kamjori kyo dikhlayi kya vah tab buddhe ho gaye the ?]
    raam raavan yuddh amne samne hua tha
    pith piche nahi !
    raam raja hi the ,ishvar nahi !
    raam jie sita ka tyag kiya tha muhamma d ji ki tarah” bibiyo ke bhandar” nahi banye the !
    kya muhaammd jiki bibiya unse khush thi fir kyo parivar me ladaai hoti thi
    tabhi kalpit kurani allah ko bich me ana padta tha aur yah kahana hota tha ki vah tumko talaq de sakta hai yani talaq j ki dhamki muhamamd dilvate the !
    agr unki bibi bhali hoti to l kyo apne daamad ali ji se ladne ke liye maidan me pahunch jati thi !
    raam bhi raja the tabhi unhone bhi rajniti kari hai 1
    lekin kalpit kurani allah ko manushyo ki hatya karvane ki jarurat kyo padi thi vah to ek pal me aise hi jaan se mar sakate the dekhe kuran 2/54
    kalpit kurani allah ne rajniti kyo ki 8/65-66 me gair muslimo se zehad karne ko kyo kaha ? kya kalpit kurani aallah ek pal me logo ko jan se nahi mar sakte the yah bhi to rajniti hai !
    itihaas me abhutislam virodhi bate bhi haiunkobhi aap padh lijiye

  3. Beta itihaskar tum apni Maa ko chod kar paida hue ho kya kyon ki itni mangadant jhuthi kathae koi maderchod hi Rach sakta hai

  4. यही तो इतिहास की असलियथ और रहेगी ही, वोटो की खातिर ही पिछली सरकारें पिछले ६० सालों से इस झूठ को पोषित करती आ रही थी पर सच्चेइतिहास को हर भारतीय को पढ़ाया जाना चाहिये

    • in mader chodo se ye pucho ki gori ne prathvi raj ki ankhen kyu fod di thi kyoki chauhan k samne jab bhi gori ki begam aati thi to use pane k liye wo 100 sanko ko mar deta tha tb usne plan banaya ki iski ankhen hi fod de taki begam pr ye buri najar na pde

  5. Pratap was egoistic person. He was enemy of peace in Rajputana. He was enemy of Islam & Allah. If he was not able to rule the whole world he must have support Jallaluddin Mohammad Akabr for his mission to win the world and make India proud.

    • बहन के लौड़ो मुल्लो तुम मान क्यों नही लेते के अकबर अपनी गांड मरवाता था

  6. All you have written is all rubbish. What you are telling in the name of history has come from your imagination. Stop misguiding readers.

    • pratap akabr ka baap tha akbar sala kabhi lda hi nahi kisi rajput se man singh ko aage kr deta tha. nhi to sale ki pichwade me bhala rop k khada kr deta pratap murti bna deta

  7. yw kis madarrchod ne likhi hai.salo akbar ko real jodha di hi nahi thi usk rajay me rhne wali dasi ki putri di gai thi akbar ko. wo sala abul fasal ne jo likha wo tum pdte ho.. babar ki gand to sanga ne aisi mari thi ki bhag gya tha wo khatoli k yudh me.. rahi bat akbar ki to akbar se sale se kuch hota hi nahi tha. man singh nhi hota to pratap usk bhala thok deta pichwade ,me smja mansingh ne khud abkar ki or biwiyo k mje liye the…..or chutiya us time delhi hindustanki rajdhani nhi thi smja us time delhi chitor se bhi chota rajay hua krta tha….

    • चूतिये पहले पूरा लेख पढ़ फिर कमेंट कर साला चार लाइन पढ़ कर कमेंट कर दिया

  8. saalo tum sab ne islam ko samjha hi kya he aur quran ko bich me laane ke liye use padna padta he aur pehele pado phr kuch comments pass karna kisi religion ke baare me samjhe…. hindu logo ka he hi kya is desh me jitne bhi historical palace he wo musalmaan ne hi banaye he tum sab ke rajaon ne kya banaya he ghanta. aaj jo india me paise aa rahe he na wo isi palaces ki wajah se aa rahe he aur agar itni taqleef hoti he to tod do saare historical palaces aur taj mahal aur jitne bhi chijain he jo musalmaan ne banayi he sab tod to tab jaane.
    agar hum musalamaan nahi hote na to aaj sab hindu bhikh maang rahe hote .( saale behen ke lodo ). sudhar jao….. warna anjaam bohot bura hoga……

  9. Sale Akbar kbse mahan ho gya uske hinduo k jaane li kitne rajput Bhai Mar vaye tu usko mahan bta RHA h bhutni k Rana partap PR Chauhan in mahan rajao ka apman KR RHA h y sari bakwas history h delete KR ise warna tuje delete KR dunga

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