पाकिस्तान बना था क्योंकि ‘पाक’ मुसलमान ‘काफ़िर नापाक’ हिन्दू के साथ नहीं रह सकता। वो अलग हो गए। पाकिस्तान बनना हिन्दुस्तान पर युद्ध का ऐलान था।
जो भाई बन कर साथ नहीं रह सका वो पड़ोसी बन कर दोस्त कैसे बन जाएगा, ऐसा सोचने वाले हिंदुस्तान में थे ही नहीं। होते तो विभाजन नहीं होने देते।
खैर हो गया था तो युद्ध के घोष को स्वीकार करके पलटवार होना चाहिए था। पर हम अमन के पैगाम भेजते रहे। हिंदुस्तान में हिन्दू राष्ट्र वालों से नफरत करते रहे पर मुस्लिम मुल्क पाकिस्तान से बात करने के लिए अपना सब कुछ लुटवाते रहे।
हिन्दू-सिख वहाँ 19% से 1% रह गए। वहाँ से हिंदुस्तान पर हर साल हमले होते रहे। फिर कश्मीर से हिन्दू साफ़ हुए। हम ग़ुलाम अली की गजल पर वाह वाह करते रहे।
पाकिस्तान में रहने वाला हर वो शख्स जो पाकिस्तान के सिद्धान्त पर प्रश्न नहीं करता, लगभग आतंकवादी है।
जिसे उनसे बात करनी है, साथ चाय पीनी है, गले लगना है, उनकी कला देखनी है, वो भारत माता का गद्दार है।
बस एक सिद्धान्त हिन्दुस्तान को जिन्दा रखेगा।
शत्रु का विनाश।
क्रिया की प्रतिक्रिया बहुत हुई। क्रिया अब हम करेंगे।
जिसने भारत माता के टुकड़े किये, उसके खून से अरब सागर को लाल करेंगे। यह लक्ष्य होना चाहिए।