बन खून दौड़े तन में जिस देश की मिट्टी
उसके लिए प्राणों से ज्यादा प्यार पैदा कर
न हो कभी हिंसा यहाँ न हो गमो गुस्सा
हर दूसरा अपना है ये जज्बात पैदा कर
अंतर नहीं हो तेरी कथनी और करनी में
दिल में जबाँ में जो है वो कर्म पैदा कर
हक छीनना दूजे का तेरा हो नहीं पेशा
मजलूम को हक दे सके वो जान पैदा कर
इज्जत दे औरत को मुक़द्दस है वो जहां में
कर रक्षा उसकी अपनी माँ की शान पैदा कर
दिल साफ़ हो तेरा चमकते कांच के जैसा
रूहों में पाकीज़ा हो ऐसा नाम पैदा कर
सच्चाइयों की राहों का ही तू हो मुसाफिर
दफ़न हो झूठ सत्य का तूफ़ान पैदा कर
इंसानियत को दे कुदरती इल्म के तोहफे
स्वदेश का दुनिया में ऐसा मान पैदा कर
दुश्मन की गोली के लिए फौलाद से सीने
चीरे जो जालिमों को वो हुंकार पैदा कर
दुश्मन को जाकर के दे पैगाम ए दोस्ती
तू प्रेम की वीणा से ये झंकार पैदा कर
अल्लाह है जो मौजूद काबा शरीफ में
काशी में भी वही है वही है अयोध्या में
भगवान है मौजूद हर जर्रे में इसके
किबला हो यही मुल्क वो ईमान पैदा कर
अरबों को ज्यों प्यारा अरब ईरानी को ईरान
वैसे ही हिंदियों तुम्हें प्यारा हो हिन्दुस्तान
Thank you for patriotic article.
Dear Sir
Good Poem
This is Ideal things but it should start, and from inner of our heart. Let we digest ourself this poem and become example for other and our comming generation.
I wish this poem reach to each Hindustani and feel its greatness.
I am sure result will come.
Vande Matarm,
Rakes
right sir
in english plz
Agniveer Ji
Have you started talking like Ramdev Ji,he is always talking about Akhand Bharat.Id ist possible now.I think we need to do some more khand of current Bhjarat.Not sure how your and Ramdev Dream will come true.
See 2017 we will have one more division
2021 four more division
2026 2 more division
Finally Hindus will be in South East of India and ISLAM will have control of top rivers and Hindus will be on mercy.
Do you have any solution to it or does Ramdev has any solution of this.
****YOUR MESSAGES ARE FULL OF HOPE THAT ONE DAY ‘ARYAA VARATAA’SHALL RETURN TO OUR SACRED LAND AND RESONANCES OF ‘VED PATHS,VANIES AND YAGYAAS’BE HERE.****
Dara Singh ji,
Yes there will be more khands of Bharat, but not the way people like you imagine.
2017 we will have one more division – yes, Azad Baluchistan
2021 four more division – yes, Sindhudesh, Pakhtunkhwa, Baltistan, PoK.
2026 2 more division – yes, Seraikistan, North Afghanistan.
The Indian core state will remain united and become even more solid.
2017, Bhutan joins India
2021, Nepal amalgamates.
2026, Sri Lanka votes to join the Indian Union.
Good luck and sweet dreams to you and your ilk.
Iss Rooh mein macchi Jhankar ye kavita padhkar.
karte hai aapko Saalam – Namaste Sir jhookakar !!
Vande Mataram.
Keep Enlightening .
Dear Agniveer ji
V.good Poem
This is Ideal things but it should start, and from inner of our heart. Let we digest our self this poem and become example for other and our coming generation.
I wish this poem reach to each Hindustani and feel its greatness.
I am sure result will be positive.
Vande Maatarm,
Keep Enlightening .
sahil batra
http://www.youtube.com/watch?v=57-MHC42i7g
The link above is a great lecture by the great Ravji Malhotra
Very Nice Vashi !!!
Jai Hind
[…] मातृभूमि August 15, 2012 […]
Hello Sir,
Actuly I like your explanation in which way you put your points for Hinduism.
A ONE MAN TIGER
JAI BHARAT
nice poem sir it is good effort to litreat india…………
Anna Posted on Wish I could have gone with you guys. I always want to look back at Hunter and then I alosmt fall over. Typical me LOVE these pictures of the ride.
सभ्यता जहाँ पहले आयी
जन्मी है जहाँ पे पहले कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
जय माँ भारती!
ॐ!ॐ!ॐ!ॐ!ॐ!
jai hind
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
चाहता हूँ भारत जननी तुझे कुछ और
भी दूँ ।।
ॐ!!!ॐ!!!!
जयति जय जय हिन्दू राष्ट्रे
ॐ!!!ॐ!!!!
http://agniveerfans.wordpress.com/2011/09/22/netaji-subhash/
एक बार फिर से सुभाष मांगता है देश
घोर अंधियार है उजास मांगता है देश ,
पतझड़ छाया , मधुमास मांगता है देश !
कुर्बानियो का एहसास मांगता है देश ,
एक बार फिर से सुभाष मांगता है देश !!
चंद काले पन्ने फाड़े गए हैं किताब से
इतिहास को सजाया खादी ओ गुलाब से
पूछता हूँ कुएँ सुभाष का कोई पता नहीं
कैसे कहूँ बीती सत्ता की कोई खता नहीं
एकाएक वो सुभाष जाने कहाँ खो गए
और सारे कर्णधार जाने कहाँ सो गए
मानो या ना मानो फर्क है साज़िशो भूल में
कोई षड़यंत्र छुपा है समय की धुल में
गांधी का अहिंसा मंत्र रोता चला जा रहा
देखिये ये लोकतंत्र सोता चला जा रहा ,
आज़ादी कि हत्या में सभी कुएँ मौन है
इसकी ख़ुदकुशी के जिम्मेदार कौन कौन है
अभी श्वेत खादी कि ये आंधी नहीं चाहिए
दस बीस साल तक गांधी नहीं चाहिए
सोये हुए शेर कि तलाश मांगता है देश
एक बार फिर से सुभाष मांगता है देश
ढाल और खड्ग बिन गाथा को गढा गया
आज़ादी का स्वर्ण ताज खादी से मढ़ा गया
लाल किले में लगा दी क्यारियां गुलाब की
तारे जा के बैठे हैं जा के जगह आफताब की
आज़ादी कि नीव को लहू से था भरा गया
मिली नहीं थी भीख में आज़ादी को वारा गया
कितने जाबांज बाज धरती में गड गए
किन्तु श्रेय को ले के कपोत उड़ गए
कहते हो बैठे थे सुभाष जिस विमान में
हो गया है ध्वस्त वो विमान ताइवान में
सूर्य के समक्ष वक्ष तान घटा छा गयी
भाग्य कि कलम स्याही से कहर ढा गयी
दिव्य क्रान्ति ज्योत को अँधेरा आ के छल गया
बोलते हो सूर्य पुत्र चिंगारी से जल गया
आप से वो जली हुई लाश मांगता है देश
एक बार फिर से सुभाष मांगता है देश!!!
http://agniveerfans.wordpress.com/2011/11/20/subhash/
आजाद हिंद फौज के वीरों का मनपसंद गीत
वह खून कहो किस मतलब का, जिसमें उबाल का नाम नहीं ।
वह खून कहो किस मतलब का, आ सके देश के काम नहीं ।
वह खून कहो किस मतलब का, जिसमें जीवन, न रवानी है !
जो परवश होकर बहता है, वह खून नहीं, पानी है !
उस दिन लोगों ने सही-सही, खून की कीमत पहचानी थी ।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में, मॉंगी उनसे कुरबानी थी ।
बोले, स्वतंत्रता की खातिर, बलिदान तुम्हें करना होगा ।
तुम बहुत जी चुके जग में, लेकिन आगे मरना होगा ।
आज़ादी के चरणें में जो, जयमाल चढ़ाई जाएगी ।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के, फूलों से गूँथी जाएगी ।
आजादी का संग्राम कहीं, पैसे पर खेला जाता है ?
यह शीश कटाने का सौदा, नंगे सर झेला जाता है”
यूँ कहते-कहते वक्ता की, ऑंखें में खून उतर आया !
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा, दमकी उनकी रक्तिम काया !
आजानु-बाहु ऊँची करके, वे बोले,”रक्त मुझे देना ।
इसके बदले भारत की, आज़ादी तुम मुझसे लेना ।”
हो गई उथल-पुथल, सीने में दिल न समाते थे ।
स्वर इनकलाब के नारों के, कोसों तक छाए जाते थे ।
“हम देंगे-देंगे खून”, शब्द बस यही सुनाई देते थे ।
रण में जाने को युवक खड़े, तैयार दिखाई देते थे ।
बोले सुभाष,” इस तरह नहीं, बातों से मतलब सरता है ।
लो, यह कागज़, है कौन यहॉं, आकर हस्ताक्षर करता है ?
इसको भरनेवाले जन को, सर्वस्व-समर्पण काना है।
अपना तन-मन-धन-जन-जीवन, माता को अर्पण करना है ।
पर यह साधारण पत्र नहीं, आज़ादी का परवाना है ।
इस पर तुमको अपने तन का, कुछ उज्जवल रक्त गिराना है !
वह आगे आए जिसके तन में, भारतीय ख़ूँ बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को, हिंदुस्तानी कहता हो !
वह आगे आए, जो इस पर, खूनी हस्ताक्षर करता हो !
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए, जो इसको हँसकर लेता हो !
सारी जनता हुंकार उठी- हम आते हैं, हम आते हैं !
माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढ़ाते हैं !
साहस से बढ़े युबक उस दिन, देखा, बढ़ते ही आते थे !
चाकू-छुरी कटारियों से, वे अपना रक्त गिराते थे !
फिर उस रक्त की स्याही में, वे अपनी कलम डुबाते थे !
आज़ादी के परवाने पर, हस्ताक्षर करते जाते थे |
उस दिन तारों ना देखा था, हिंदुस्तानी विश्वास नया।
जब लिखा था महा रणवीरों ने, ख़ूँ से अपना इतिहास नया ||
Why Tibet is not included in this map where our holy places like Kailas-Manas sarovar is located. The word Tibet derived from Trivistapa means sun,it was our part till 1000 AD.
after read feel very proud of my hindustan
after read feel very proud
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लेकिन भाई ये कविता तो उर्दू में है । हिन्दी लिखके बताओ तो मानूंगा।
Covers major challenges exhaustively, and points to approach to solutions!
shat shat naman
Good poem,
its my dreem’s india.