- ताजमहल एक ज्योतिर्लिंग मन्दिर – सौ से अधिक प्रमाण (भाग-तेरह)
- ताजमहल एक ज्योतिर्लिंग मंदिर – सौ प्रमाण (भाग – बारह)
- ताजमहल एक ज्योतिर्लिंग मंदिर – सौ प्रमाण (भाग-ग्यारह)
- ताजमहल एक ज्योतिर्लिंग मन्दिर – सौ प्रमाण (भाग दस)
- ताजमहल एक ज्योतिर्लिंग मन्दिर – सौ प्रमाण (भाग नौ)
- ताजमहल एक ज्योतिर्लिंग मन्दिर – सौ प्रमाण (भाग आठ)
- ताज महल: एक ज्योतिर्लिंग मंदिर- सौ प्रमाण (भाग सात)
- ताज महल: एक ज्योतिर्लिंग मंदिर- सौ प्रमाण (भाग छः)
- ताज महल: एक ज्योतिर्लिंग मंदिर- सौ प्रमाण (भाग पांच)
- ताज महलः एक ज्योतिर्लिंग मंदिर-सौ प्रमाण (भाग चार)
- ताज महल: एक ज्योतिर्लिंग मंदिर- सौ प्रमाण (भाग तीन)
- ताज महलः एक ज्योतिर्लिंग मंदिर-सौ प्रमाण (भाग दो)
- ताज महलः एक ज्योतिर्लिंग मंदिर-सौ प्रमाण (भाग एक)
- छलावे का अंत और मंदिरों की पुनः प्राप्ति
ताज का निर्माण किसने किया?
शाहजहां.
क्यों?
क्योंकि उसकी तीसरी बेगम और तीसवीं सेक्स-सहचरी- मुमताज महल – उसकी चौदहवीं संतान को जन्म देते हुए चल बसी.
शाहजहां ने उस इमारत को ताज महल नाम क्यों दिया?
मुमताज महल के नाम पर, मुमताज में ‘ताज’ है.
क्या कारण है कि शाहजहां ने उसके असली नाम की बजाए, उसके उपनाम को जिसका इतिहास में कोई उल्लेख भी नहीं है, इमारत के नाम के लिए चुना? आखिर, किसी मृत व्यक्ति की याद में किसी स्मारक का निर्माण कोई हंसी-खेल की बात तो नहीं है.
शायद ……. वो जो भी हो ……….. लेकिन इतिहास में यह दर्ज है कि ताज महल का निर्माण शाहजहां ने किया.
और यह इतिहास किसने लिखा?
शाहजहां के दरबारियों और उस काल के प्रवासियों ने.
शाहजहां के दरबारी और उस काल के प्रवासी इत्यादि सभी लोग, आज मौजूद आईएसआईएस के उन पिट्ठूओं से अलग कैसे हुए, जो बगदादी को आज का सबसे बड़ा नेता मानते हैं. क्या इस बारे में इतिहास के सभी तथा-कथित दस्तावेज एक-दूसरे से मेल खाते हैं? क्या ये इतिहास किसी निष्पक्ष व्यक्ति द्वारा लिखा गया है? यदि आज मेरे बीस मित्र यह गवाही दें कि मैं कल रात गधे पर बैठकर स्वर्ग की सैर कर आया हूं, तो क्या आप मानेंगे और इसे इतिहास में दर्ज करेंगे?
खैर………आप तो जानते ही हैं……….अंग्रेजों ने
सभी अनुसंधान किए हैं……….. और….. जेएनयू वाले भी इस पर काम कर चुके हैं.
समझ में आया, तो आप उन लोगों के दावों पर विश्वास रखते हैं, जिनकी भारत के प्रति निष्ठा शंकास्पद है. और यह सब कहां पढ़ा आपने? स्कूल की पाठ्य पुस्तकों में? जिसे रट कर और परीक्षा में वैसा ही उगलकर अंक प्राप्त किए जाते हैं? किसी बाॅलीवुड़ फिल्म में या किसी रूमानियत भरी शायरी में?
आप मेरी टांग खींचना बंद किजिए. मैं बस इसलिए इसे सत्य मानता हूं क्योंकि शाहजहां एक महान निर्माता था.
ओह, और यह किसने लिखा? उसकी कठपुतलियों ने ही ना? खैर, क्या आपने उसके चापलूसों द्वारा लिखित उन किताबों को पढ़ा भी है? उन में शाहजहां द्वारा उसके बचपन से लेकर मृत्यु पर्यन्त किए गए अनगिनत अत्याचारों का भी वर्णन है. जिनमें उसके द्वारा स्त्रियों पर किए गए बलात्कार और लोगों का सिर कलम करवाने जैसी नृशंस घटनाओं को भी महिमामंड़ित किया गया है. क्या आपको लगता है कि ऐसा नशाबाज, बलात्कारी और विकृत दिमाग वाला हत्यारा, ऐसी बेजोड़ वास्तुकला के स्थापत्यों का निर्माण कर सकता है? और यदि कर सकता है, तो वह गौरव का पात्र है या लज्जा का?
मेरा गला खराब है ……..
और क्या आप जानते हैं कि मुमताज महल का देहांत आगरा से आठ सौ किलोमीटर दूर बुरहान में हुआ था और वहां से आगरा लाते-लाते उसका शव सड़कर अत्यंत दुर्गंधयुक्त हो जाता, जिसे गिद्ध भी खाना पसंद नहीं करते.
मुझे जरूरी काम से जाना है.
क्या मैं कुतुबमीनार, फतेहपुर सीकरी, जामा मस्जिद, कृष्ण जन्म भूमि, काशी विश्वनाथ, लाल किला इत्यादि पर भी कुछ बोलूं?
तुम दक्षिणपंथी, भगवा आतंकवादी हो, जो देश की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है. मैं जा रहा हूं. मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनूंगा.
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इस वार्ता का बोध
यह है कि ताज महल तो मात्र एक छोटा सा उदाहरण है. इस्लामिक स्थापत्य कला के सभी दावे खिल्ली उड़ाने योग्य हास्यास्पद प्रमाणों, रूमानि शायरों की शायरी, अंग्रेजों के भारत विरोधी एजेंड़े और स्कूल में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य पुस्तकों पर आधारित हैं.
यदि हम सत्य और प्रामाणिकता में विश्वास रखते हैं, तो हमारे पास दो विकल्प हैं-
विकल्प 1. मध्य युगीन सभी स्थापत्य जो मस्जिदें हैं या जो इस्लामिक योगदान का दावा रखते हैं, वह सभी हिंदुओं को पुनः लौटाए जाएं. इन रचनाओं
की बारीकियों और इतिहास के दस्तावेजों की ऊपर-ऊपर से, सरसरी तौर पर की गई समीक्षा भी चीजों को बिलकुल स्पष्ट कर देती है.
भारतवर्ष के मुद्रालेख ‘ सत्यमेव जयते’ को देखते हुए यह सबसे आदर्श विकल्प है.
विकल्प 2. और यदि हम जमीन के विवादों में न उलझना चाहें, अगले 100 वर्षों में अधिक तलस्पर्शी अनुसंधान करना चाहें तथा राजनैतिक चतुराई से काम करना चाहें तो हमारे पास इसका भी तात्कालिक विकल्प मौजूद है.
जिन दस्तावेजों से इन मुगल शासकों को इन स्थापत्यों का निर्माता सिद्ध किया जाता है, वही इन्हें विकृत बलात्कारी और हत्यारे भी कहते हैं.
मिसाल के तौर पर – अकबर के दरबारियों ने इस बात को महिमामंड़ित किया है कि कैसे वह अपने शत्रुओं के सिर कलम करवाता था और कैसे स्त्रियों को बलात् अपने हरम में शामिल कर लेता था. ऐसे ही जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब तथा अन्यों के बारे में है. इसलिए इन सभी स्मारकों के आगे एक तख्ती लगाई जाए कि “इस इमारत का तथा-कथित निर्माण एक बलात्कारी, खूनी और पागल-जो आज के ओसामा बिन लादेन या बगदादी से कुछ कम नहीं था, द्वारा हुआ है.”
पाठ्य पुस्तकों से इन धूर्त छद्मवेषीयों का महिमामंड़न निकाल बाहर किया जाए. साथ ही यह भी जताना चाहिए कि इन
स्थापत्यों के निर्माण के जो दावे किए जाते हैं, उन पर भी प्रश्न चिन्ह है. आपको दोनों विकल्प प्राप्त नहीं हैं. अगर आप इन मध्यकालीन शासकों द्वारा किए गए जुल्मों को उजागर करनेवाले दस्तावेजों को नकारते हैं, तो आपको उन के स्थापत्य कला के दावों को भी नकारना पड़ेगा. अगर आप उनके बहुत बड़े निर्माणकर्ता होने के दावों को स्वीकार कर लेते हो, तो आपको यह भी मानना पड़ेगा कि वे उससे भी ज्यादा बड़े बलात्कारी और हत्यारे थे.
अग्निवीर सत्यता और न्याय के लिए समर्पित है. इन स्मारकों को हिन्दुओं को वापस देने की हमारी मांग के समर्थन में हम प्रमाण देते रहेंगे.
क्या आप इस्लाम के खिलाफ़ तो नहीं हो?
नहीं. दरअसल इस्लाम इस प्रकार की रचनाओं, कलाकृतियों और स्थापत्यों में विश्वास ही नहीं रखता. भारत के अलावा कहीं आप को ऐसी सूक्ष्म कलाकृतियों के स्थापत्य नहीं मिलेंगे. और जैसा हम सुनते आ रहे हैं कि इस्लाम अर्थात शांती और इमानदारी, अतः मुस्लिमों को भी इस प्रामाणिक प्रयास में सहयोग करना चाहिए. ऐसा करना सच में इन कसाईयों का महिमामंड़न करने से ज्यादा इस्लामिक होगा. जैसे कि कई मुस्लिमों ने अयोध्या में कारसेवा में सहयोग किया था, क्योंकि वे जानते थे कि समलैंगिक बाबर इस्लाम के नाम पर एक कलंक था.
हमारी मांगे-
- – वे सभी मंदिर और स्मारक इत्यादि जो आक्रमणकारियों द्वारा बलात् छीन लिए गए थे, हिंदुओं को वापस दिए जाने चाहिएं.
- -कोई भी शासक जो हिंसक, बलात्कारी, खून-खराबा कर उत्सव मनाने वाला रहा हो, सरकार को चाहिए कि उसका महिमामंड़न बंद किया जाए.
- -इसी तरह सभी पाठ्य-पुस्तकों और सरकारी दस्तावेजों की पुनर्समीक्षा कर इन स्मारकों पर हिंदू दावों और उनके प्रमाणों को सम्मिलित किया जाना चाहिए.
- – सरकारी सूचनाओं, सूचनापट्ट इत्यादि पर दी गई जानकारियों, पर्यटन स्थलों पर तथा पथप्रदर्शकों की पुस्तिकाओं इत्यादि में बदलाव कर इन इमारतों पर हिंदू दावों को भी शामिल किया जाना चाहिए. जैसे- ताज महल घूमने आए पर्यटकों को शाहजहां-मुमताज की कहानी के साथ ही इसके हिंदू इतिहास से भी अवगत कराया जाना चाहिए. साथ ही इस आशय का एक सरकारी सूचना पट्ट भी वहां लगा होना चाहिए.
- – यदि आप इतिहास को खत्म करोगे, इतिहास आपको खत्म कर देगा. हम बरबाद हो रहे हैं फिर भी नहीं समझ रहे, भारत माता के पुत्रों को सिर्फ़ राम मंदिर ही नहीं बल्कि इन हजारों स्मारकों को भी बिना कोई समझौता करते हुए पुनः हासिल करने की मुहिम चलानी होगी. यदि हम विकृतों को ऐसे ही सहन करते रहे, तो इन में से ही तालिबान, अल-कायदा और आईएसआईएस निकलेंगे.
आइए, हमारे सच्चे इतिहास को वापस लाएं, हमारे मंदिरों को पुनः प्राप्त करें.
For original post in English, visit Reclaim temples and kick out the fraud.