शिवा जी की वीर भूमि में जन्में.
अंग्रेजों से लड़े.
अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की सजा- अंदमान में काला पानी – दो जन्मों का कारावास.
जहाज से समुद्र में गोता लगा गए, घण्टों तैरते रहे, पुनः पकड़ लिए गए.
भारत माता के लिए काला पानी में कोल्हू का बैल बने.
सन् 1911 में पकड़े गए, 10 वर्षों के लिए काला पानी भेजे गए.
अंदमान में जेल की दिवारों पर भारत माता की स्मृति में नाखून से कविताएं लिखीं.
उसके पश्चात् अगले तीन वर्षों तक विभिन्न जेलों में बंद रहे.
सन् 1937 तक पुलिस से प्रतिबंधित.
अतः अपने जीवन के पूरे 26 अनमोल वर्ष कारावास में बिताए.
कई दया याचिकाएं भेजीं. (क्यों नहीं? आतताई को क्यों न झांसा दिया जाए?)
जाति-प्रथा के खिलाफ लड़े.
अंधविश्वासों के खिलाफ लड़े.
जिहादी गुण्डागर्दी के खिलाफ लड़े.
उस समय के छद्म उदारवादियों को बेनकाब किया.
भारत में उनकी प्रतिबंधित पुस्तक का प्रकाशन युवा नायक शहीदे आजम भगत सिंह ने किया.
भारत माता के बंटवारे का विरोध किया.
भारत की एकजुटता के लिए कार्य किया.
फिर अनंत में विलीन.
और आज उनके जाने के पचास वर्षों बाद भी वे साम्यवादी आतंकवादियों, दलालों और पिगरेल्स् अर्थात छद्मउदारवादियों पर भारी पड़ते हैं.
यह हैं – विनायक दामोदर सावरकर.
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यदि महात्मा गांधी राष्ट्र के पिता हैं और उनका अपमान करना भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार दण्ड़नीय अपराध है तो प्रखर वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रपितामह हैं. क्योंकि जब कांग्रेस और उनकी सारी तोपें – भारतीय असेम्बली में विक्टोरिया की तारीफ के गीत गा रहे थे, सावरकर कारावास की दिवारों पर नाखून से भारत माता की जय लिख रहे थे.
ऐसे अद्वितीय राष्ट्रपुरुष का अपमान करने वाले स्वंय कमीने हैं, जिन्हें कानून द्वारा कड़ा सबक सिखाया जाना चाहिए.
– वाशी अग्निवीर
वाशी शर्मा एक सम्माननीय वैज्ञानिक हैं। अंतराष्ट्रीय स्तर पर उनके कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने आईआईटी बाॅम्बे से डाक्टरेट की उपाधी प्राप्त की है। वे नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय में वैज्ञानिक हैं। वे एन आई टी जयपुर में पढाते हैं। कान्सन्ट्रेटर ऑप्टीक्स में उन्हें महारत हासिल है। सौर उर्जा के उत्तम तरीके से उपयोग पर वह काम करते हैं।
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